Aehsan Ke Bojh Tale

Posted Sep 24th, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
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हमारे परिवार में तीन लोग ही थे, दीदी ससुराल जा चुकी हैं। वर्मा जी के परिवार में सात लोग उनके माता-पिता और बच्चे राम, शीतल व कुशल ! राम इसी साल रूस जाने वाला था मेडिकल की पढ़ाई करने, जुलाई में चला भी गया। शीतल बारहवीं में, कुशल आठवीं में और शीतल से दो साल सीनियर हूँ। मैं पढ़ाई में ठीक हूँ इस कारण से मेरी एक खास छवि बन गई थी। हम तीनों साथ-साथ खेलते। कभी कभी मैं कुशल को पढ़ा भी दिया करता था। एक दिन की बात है, मैं छ्त पर पढ़ाई कर रहा था, कुशल भी मेरे साथ था। तभी शीतल आई उसे कुछ पूछ्ना था, गणित में उसे समस्या थी, वह आई और मुझसे सवाल पूछने लगी। वो सफ़ेद कमीज और लाल स्कर्ट में वाकई खूबसूरत लग रही थी। उसके पतले-पतले होंठ रस भरे और सुर्ख थे। मन तो किया कि अभी उन्हें चूम लूँ पर अंकल का उपकार मुझे रोक लेता, शीतल के पापा का बहुत अहसान था हम पर। मैंने उसे ट्रिगनोमेट्री के सवाल करवाए। वो काफ़ी खुश थी कि उसकी परेशानी दूर हो गई। तब तक कुशल जा चुका था। तब उसने कहा कि ज्योमेट्री में भी कुछ पूछना है। मैं बताने लगा, वो झुक कर समझने लगी। अचानक ही मुझे जन्नत के दर्शन हुए उसके शर्ट के दो बटन खुले था और उसके मक्खन जैसे उजले दूध नजर आ रहे थे। तभी हमारी नजर मिली और मैं झेंप सा गया। उसने पूछा- क्या हुआ? सकपकाते हुए मैं आगे पढ़ाने लगा, शायद वो जानबूझ कर दिखाना चाहती थी और फिर से जन्नत मेरे सामने थी। इस बार मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कहा- तुम्हारी शर्ट के बटन खुल गये हैं।….

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