Angoor Ka Dana 2

Posted Jan 19th, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
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मेरे पाठको और पाठिकाओ ! आप जरूर सोच रहे होंगे कि अब तो बस दिल्ली लुटने को दो कदम दूर रह गई होगी। बस अब तो प्रेम ने इस खूबसूरत कमसिन नाज़ुक सी कलि को बाहों में भर कर उसके होंठों को चूम लिया होगा। वो पूरी तरह गर्म हो चुकी होगी और उसने भी अपने शहजादे का खड़ा इठलाता लंड पकड़ कर सीत्कार करनी चालू कर दी होगी ? नहीं दोस्तों ! इतना जल्दी यह सब तो बस कहानियों और फिल्मों में ही होता है। कोई भी कुंवारी लड़की इतनी जल्दी चुदाई के लिए राज़ी नहीं होती। हाँ इतना जरूर था कि मैं बस उसके होंठों को एक बार चूम जरूर सकता था। दरअसल मैं इस तरह उसे पाना भी नहीं चाहता था। आप तो जानते ही हैं कि मैं प्रेम का पुजारी हूँ और किसी भी लड़की या औरत को कभी उसकी मर्ज़ी के खिलाफ नहीं चोदना चाहता। मैं तो चाहता था कि हम दोनों मिलकर उस आनंद को भोगें जिसे सयाने और प्रेमीजन ब्रह्मानंद कहते हैं और कुछ मूर्ख लोग उसे चुदाई का नाम देते हैं।..

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