Didi Jijaji Aur Paro 2

Posted Jan 20th, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
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पारो: अभी करो ना। देखो तेरा ये फिर से खड़ा होने लगा है। मैं: हाँ, लेकिन तेरी चूत का घाव अभी हरा है, मिटने तक राह देखेंगे, वर्ना फिर से दर्द होगा और ख़ून निकलेगा। मेरा लंड फिर से तन गया था। पारो ने उसे मुट्ठी में थाम लिया और बोली: होने दो जो होवे सो। मुझे ये चाहिए। मैं ना कैसे कहूँ भला? मुझे भी चोदना था। मैंने किताब निकाली। इनमें एक तस्वीर ऐसी थी जिसमें आदमी नीचे लेटा था और औरत उसकी जाँघों पर बैठी थी। मैंने ये तस्वीर दिखाकर कहा: तू ऐसा बैठ सकोगी? पारो: हाँ, लेकिन इसमें आदमी का वो कहाँ है? मैं: वो औरत की चूत में पूरा घुसा है, इसलिए दिखाई नहीं देता। आ जा।..

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