Gudiya Badi Chuddakad

Posted Aug 26th, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
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आप सभी तो जानते ही हैं कि कालू के साथ मेरे शारीरक संपर्क बन चुके थे और हम जब मौका मिलता मस्ती के सागर में डूब जाते थे। तो इसी चक्कर में एक बार कालू ने मुझे मोटर घर में पकड़ लिया और हम दोनों की गर्मी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। हमें कुछ नहीं मालूम था, बस उसका काला लौड़ा मेरी चूत को हलाल करने में लगा था। जब हम अलग हो कर होश में आये तो सामने शंकर को देख हमारे चेहरे पर तोते उड़ने लगे। मैं सम्पूर्ण नंगी थी, एक भी कपड़ा तन पर नहीं था। जल्दी से मैंने अपने हाथों से अपनी चूत को छुपाने की कोशिश की और जब मैंने अपनी सलवार खींच कर चूत को ढकने की कोशिश की तो मेरे मम्मे दिखने लगे। शंकर बोला,”वाह मेम साहब ! इस कालू की पाँचों उँगलियाँ घी में रहती हैं।” मैं सलवार सीधी कर पहनने लगी तो उसने मुझे रोक दिया। मैंने उससे गुस्से में कहा,”शंकर ! जाओ यहाँ से।” वह अपने लंड को अपने लुंगी के ऊपर ही मसलते हुए बोला,”हमें स्वाद नहीं लेने दोगी जवानी का गुड़िया रानी ?” “मैं रंडी नहीं हूँ जो हर किसी से करवाऊँ!” मैं गुस्से में लाल हुए जा रही थी।…..

One Response to “Gudiya Badi Chuddakad”

  1. soni Says:

    sunker muth marne mja

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