Holi Ke Bahane 3

Posted Mar 02nd, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
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अब तक आपने पढ़ा कि कैसे मैं होली खेलने बैकवर्ड क्लास वाले लोगों की कालोनी में गया और दारू पी कर एक चालीस साल के आदमी से अपनी गाण्ड मरवाने लगा। अब आगे लिखने जा रहा हूँ ! और तेज़ ! तेज़ और तेज़ ! होली मुबारक हो ! अश अश उई उई करके चुदने लगा मैं ! उसकी स्पीड बढ़ी, मैं समझ गया कि झड़ने वाला है ! उसने कंडोम उतारा, घुसा दिया, दो तीन झटकों में जब उसका निकलने लगा तो उसने पूरा पानी मुझे सीधा कर मेरे मुँह पर, छाती पर निकाला और मुझे चूमने लगा। तभी पीछे से किसी की आवाज़ सुनी- वाह वाह भाई ! अकेला-अकेला गांडू पेल रहा है ? दारु हमारे साथ पीकर आये और नज़ारे यहाँ अकेले अकेले लूटने में लगे हो ? साले हम भी होली मुबारक करेंगे !….

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