उससे भी अब नहीं रहा जा रहा था। उसने अपनी शर्म त्याग कर एक झटके में मेरी चड्डी को नीचे कर दिया और मेरे 7″ लंबे और बहुत ही मोटे लंड को आज़ाद कर दिया। उसे देख कर वो चकित रह गई। मेरा लंड शायद उसकी उम्मीद से कहीं ज्यादा विकराल था। वो बोली,”बाप रे ! यह तो बहुत मोटा और बड़ा है शायद मेरी कलाई से भी ज्यादा मोटा है। मेरी चूत जिसमें एक उंगली नहीं जा सकती ये कैसे जायेगा?” उसकी मासूमियत पर मुझे हंसी आई और बहुत प्यार भी आया, मैंने कहा,”धीरे-धीरे सब सीख जाओगी मेरी जान !” उसके हाथ अब मेरे लोहे जैसे लंड पर थे और वो उसे सहला रही थी। उसने मेरे सुपारे पर चूमा और फिर उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। इतनी उत्तेजना को रोक पाना अब संभव नहीं था। मैं झड़ने वाला था। तीन मिनट बाद मैं उसके मुँह में ही झड़ गया। उसे शायद इसकी उम्मीद नहीं थी पर फिर भी बेहिचक वो सारा वीर्य पी गई।…
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