Savan Jo Aag Lagaye 2

Posted Jan 31st, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
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ओह … मीनू … सच कहता हूँ मैं इन तीन दिनों से तुम्हारे बारे में सोच सोच कर पागल सा हो गया हूँ। लगता है मैं सचमुच ही तुम्हें पर … प्रेम … ओह … चाहने लगा हूँ। पर ये सामाजिक बंधन भी हम जैसो की जान ही लेने के लिए बने है !” भैया की आवाज कांप रही थी। “भैया क्या आपने कभी सोचा कि मैं आपके बारे में क्या सोचती हूँ ?” “क… क्या मतलब ?” अब उनके चौंकने की बारी थी। “हाँ भैया मैं भी आपसे प्रेम करने लगी हूँ !” मैंने अपनी नजरें झुका ली। “ओह… मेरी मीनू मेरी मैना मेरी जान” और भैया मुझ से लिपट ही गए। उन्होंने मुझे अपने बाहों में भर लिया और मेरे होंठों पर एक चुम्बन ले लिया। आह … वो प्यार का पहला चुम्बन मुझे अन्दर तक रोमांच से भिगो गया। मेरा तन मन सब कुछ तो उसी एक छुवन की लज्जत से सराबोर हो गया। मैंने भी अपने जलते होंठ उनके होंठों पर रख दिए।..

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